थोर ने शारीरिक रूप से अपने आपको बीमार महसूस किया, और अपने मन से सब कुछ निकालने का प्रयास किया। लेकिन उसके भीतर एक उसका अपना एक हिस्सा था जो उस पर चिल्ला रहा था। उसका वो हिस्सा उसे कह रहा था कि वो उम्मीद ना छोड़े, उसका भाग्य इससे भी कहीं बेहतर है। उसे नहीं मालूम था कि वो क्या है, लेकिन वह जानता था वो यहाँ नहीं है। उसे लग रहा था वो बिलकुल अलग है। शायद और भी ख़ास। यहाँ तक कि कोई भी उसे समझ ही नहीं पाया था। और सब ने उसे कम आंका है।
थोर उच्चतम टीले पर पहुँच गया और उसने अपने झुंड को देखा। वे सभी झुण्ड में थे, उन्हें अच्छा प्रशिक्षण मिला था, जो कुछ भी घास उन्हें मिला वो बड़े संतुष्ट हो कर उसे खा रहे थे। उसने उनकी पीठ पर लगे लाल निशान के आधार पर उनकी गिनती की। गिनती खत्म होने पर उसे एक धक्का लगा। उनमें एक भेड़ कम थी।
उसने फिर से गिना, और एक बार फिर। उसे विश्वास नहीं हो रहा था: एक भेड़ गायब थी।
थोर ने इससे पहले कभी कोई भेड़ नहीं खोयी थी, और उसके पिता अब उसे कभी माफ़ नहीं करेंगें। इससे भी बुरा उसे ये लग रहा था कि एक भेड जंगल में अकेली और कमजोर थी। उसे यह बहुत बुरा लग रहा था कि एक निर्दोष को सहना पड़ रहा है।
थोर टीले के ऊपर चढ़ कर चारों ओर तब तक देखता रहा जब तक उसे वो अकेला, लाल निशान वाली भेड़ दिख ना जाए। वो भेड़ झुण्ड में सबसे बिगडैल थी। जब उसे एहसास हुआ कि वो केवल भागा