जैसे उसने मुँह बढ़ाया थोर ने बढ़ कर उसके गर्दन को पकड़ लिया; यह बिलकुल सख्त मांसपेशी को पकड़ने जैसा था। जैसे-जैसे उसके दांत नीचे की ओर आते गए उसकी बांह कांपने लगी। उसने उसकी गर्म साँसों को अपने पूरे चेहरे पर महसूस किया, उसकी लार टपक कर गर्दन पर गिर रही थी। एक गहरे तेज दहाड़ ने थोर के कानों को जला दिया। उसे मालूम था कि अब वो नहीं बचेगा।
थोर ने अपनी आँखें बंद कर ली!
हे भगवान्, दया करो। मुझे शक्ति दो। मुझे इस जानवर से लड़ने की ताकत दो। दया करो। मैं तुमसे भीख मांगता हूँ। तुम जो कहोगे मैं वो सब करूंगा। मुझ पर आपका बहुत बड़ा उपकार होगा।
और तभी कुछ हुआ। थोर को अपने अन्दर, अपने नब्जों के भीतर बहुत तेज़ गर्मी की अनुभूति हुई, जैसे भरपूर ऊर्जा उसमें आ गयी हो। उसने अपनी आँखें खोली और उसने कुछ जैसा देखा जिसे वो चौंक गया: उसके हथेलियों से पीली रौशनी निकल रही थी, और जब उसने जंगली जानवर की गर्दन को पीछे धकेला, तो अद्भुत रूप से, उसमें इतनी शक्ति थी कि उसे वो अपने से दूर पकडे रख सकता था।
थोर उसे तब तक धकेलता रहा जब तक वो वास्तव में उसे पीछे की ओर धकेल पाया। उसकी शक्ति बढ़ गयी थी और उसे अपने में तोप के गोले जैसी ऊर्जा की अनुभूति हुई – और फिर तुरंत ही जंगली जानवर पीछे की ओर, दस फीट दूर जा गिरा। वो अपनी पीठ के बल गिरा था।
थोर उठ कर बैठ गया, उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ था।
जानवर अपने पैरों पर खड़ा हो गया। और फिर, गुस्से से धधकता हुआ वो एक बार फिर लपका – लेकिन इस बार थोर को कुछ अलग सा महसूस हुआ। उसमें ऊर्जा का प्रवाह धधक उठा, वो अपने आपको इतना शक्तिशाली महसूस करने लगा जैसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ।
जैसे ही जंगली जानवर उसकी ओर लपका, थोर नीचे को झुक गया, और फिर उसे उसके पेट से पकड़ कर जोर से उसी की गति से