“अभी यहाँ जो हुआ, क्या आपने देखा?” थोर ने अविश्वसनीय रूप से पुछा। “मैं नहीं जानता मैंने यह सब कैसे किया।”
“लेकिन तुम जानते हो” आर्गन ने जवाब दिया। “अन्दर ही अन्दर तुम यह जानते हो। तुम ओरों से अलग हो।”
“यह बस एक.... शक्ति प्रवाह जैसा था,” थोर ने कहा। “ऐसी शक्ति जिसे मैं भी नहीं जानता था कि मुझ में है।”
“ऊर्जा से भरा मैदान,” आर्गन ने कहा। “एक दिन तुम यह सब बहुत अच्छे से जान जाओगे। तुम इसे नियंत्रित करना भी सीख जाओगे।”
थोर ने अपनी बाहों को थामा, उसे बहुत पीड़ा हो रही थी। उसने देखा की उसका हाथ खून से भर गया था। उसका सिर चकरा रहा था, उसे चिंता थी कि यदि मदद ना मिली तो क्या होगा।
आर्गन तीन कदम आगे बढ़ा और थोर के करीब आकर उसके दुसरे हाथ को उसके चोट के ऊपर रख दिया। उसने उसका हाथ पकडे रखा, पीछे हट कर उसने अपनी आँखें मूँद ली।
थोर को अपनी बाजुओं में एक गर्म प्रवाह का आभास हुआ। और फिर पल भर के अन्दर ही उसके हाथ में लगा चिपचिपा खून सूख चुका था, उसे लग रहा था जैसे पीड़ा भी फीकी पड़ गई हो।
उसने अपने आप को देखा और कुछ भी समझ नहीं सका: वो पूरा ठीक हो गया था। वहां तो बस पंजों के तीन निशान रह गए थे – लेकिन वो भरे हुए और बहुत पुराने लग रहे थे। वहां अब और खून भी नहीं था।
थोर ने आर्गन की ओर चौंक कर देखा।
“आपने यह कैसे किया?” उसने पुछा।
आर्गन बस मुस्कुरा दिया।
“मैंने नहीं किया। तुमने किया। मैंने तो बस तुम्हारी शक्ति को दिशा दी है।”
“लेकिन मुझ में तो कोई ऐसी शक्ति नहीं जिसे चोट ठीक हो जाए,” थोर ने परेशान हो कर ने कहा।
“अच्छा तो तुम में नहीं है?” आर्गन ने जवाब दिया।
“मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। इन सब बातों का कोई मतलब नहीं है,” थोर ने बेहद बेसब्री से कहा। “कृपा कर के मुझे बताईए ना।”
आर्गन ने दूसरी और को मुँह कर लिया।
“कुछ बातें तुम्हें समय के साथ सीखनी चाहिए।”
“अच्छा!