एलियो, जो अपने भाई की गहरी बातों से चकित था, खामोशी से उसके साथ रह कर कुछ देर आकाश को देखता रहा।
चौंधिया देने वाले सफ़ेद से ले कर धूम्र रंग के, बादल आकाश की दो पट्टियों के बीच तैर रहे थे। उनके नीचे वाली पट्टी सीसे जैसी स्लेटी थी, उनके ऊपर की पट्टी गहरी नीली थी, जो डूबते हुए सूरज की अंतिम किरणों से सुलग उठी थी। बादलों के किनारे सुनहरे दिख रहे थे, जैसे वे किसी दूसरी दुनिया के प्रकाश से प्रकाशित कर दिये गए हों, जैसे वे वहाँ किसी बीती हुई ज़िंदगी को प्रकाशित कर रहे थे। सफ़ेद वाले दृढ़ चोटियों के जैसे घने थे, स्लेटी वाले ऐसे लगते थे, जैसे कोई बच्चा ज़मीन पर लोट कर मैला हो गया हो।
उन सब के बीच एक आसानी से पहचाना जा सकता था। यह यूनिकॉर्न के आकार का था, और सफ़ेद पृष्ठभूमि के सामने खड़ा था मानो स्लेटी पशु सफ़ेद दिव्य घास के मैदानों में दौड़ रहे हों। जैसे टाईपोलो द्वारा बनाया गया भित्ति चित्र, वह प्राकृतिक अनंत छत जहां तक नज़र जाती थी, वहाँ तक फैली हुई थी, हमारी आत्माओं के अस्तित्व के रहस्य पर: इतनी छोटी, फिर भी अनन्त।
अचानक लिबेरो नीचे कूद गया।
“अब मैं भूख से मरा जा रहा हूँ।” उसने ज़ोर से हँसते हुए कहा।
“तुम्हें भूख नहीं लगी है, एलियो?”
“हाँ।”
“आओ, हमें चल कर खाना खाना चाहिए। फिर कभी मैं तुम्हें ट्रैक्टर पर बैठा कर सैर कराऊंगा।”
उसने घर की ओर बढ़ते हुए कहा।
एलियो ने बिलकुल समय बर्बाद नहीं किया और उसके पीछे चल दिया। वह भी भूख से मरा जा रहा था।
चौथा अध्याय
एक आवाज़ उसके कानों में किसी अजनबी भाषा के शब्द फुसफुसा रही थी
एलियो जल्दी ही उठ गया। इडा आंटी को नज़र अंदाज़ करना नामुमकिन था, जो लगातार उसका नाम ले कर चीख रही थीं। बाहर सूरज निकलने ही वाला था। उसने एक पल के लिए गुलाबी होते हुए आसमान को देखा, उस के मन में पिछली शाम सूरज के डूबने का चित्र खिंच गया और उसने उन शांति के क्षणों को को फिर से जी लिया।