पौने सात बजे वान ने कटी हुई सब्जियाँ पानी से निचोड़ने के लिए निकालीं, एक बाल्टी में आग जलाई, जिस पर वे मेज़ पर रखे एक पुराने कंक्रीट के ब्लॉक पर खाना पकाते थे, और उसमें कोयले के कुछ और टुकड़े डाले। आज वे बच्चों का पसंदीदा सूअर का भुना मांस बनाने वाले थे।
बारबेक्यू का उपकरण साधारण, लेकिन प्रभावशाली था। यह एक धातु की प्लेट थी, जो एक पुराने फैशन के ऑरेंज जूसर के जैसी दिखती थी। हंडे में सब्जियाँ उबालने के लिए पानी भर दिया और मांस को भूनने के लिए चावल की स्पेघेटी और पिनाकल था। परिणाम स्वरूप सबने अपना अपना खाना बनाया और उसे दूसरों के लेने के लिए हंडे के ऊपर रख दिया, इस प्रकार यह एक सामाजिक भोज था।
जब सात बज कर दस मिनट पर डा पहुंची, तो वान ने डिन को घर के अंदर रखे फ्रिज में से मांस निकालने भेजा। जब वह मेज़ से दस गज़ की दूरी पर थी, हेंग फिर से ‘जीवित’ हो गया, उसकी नाक फड़कने लगी।
“म्म्म्म, मिल्कशेक!”
“नहीं, हेंग, मिल्कशेक बाद में, अभी तुम्हें मेमने के चॉप मिलेंगे।”
“म्म्म्म, मेमने के चॉप, बढ़िया, अधपके……”
डा मंत्रमुग्ध थी और सब दिमाग़ में बैठा रही थी।
जब वान ने मांस को बारबेक्यू पर रखा, हेंग ने कम होते जा रहे उजाले में अच्छी तरह देखने के लिए अपने चश्मे उतार दिये। उसकी आँखें आग के लाल प्रकाश स्तंभों के जैसी दिख रही थीं, जो बच्चों को डर और दुर्बोधता की वजह से काँपने को मजबूर कर रही थीं।
वहाँ मौजूद कोई भी कहता कि उबलती सब्जियों और पकते मांस की सुगंध लाजवाब थी, लेकिन वह हेंग था, जो सबसे पहले बोला।
“अब मेमने की महक बढ़िया लग रही है! खून को जलाओ मत। हेंग को मांस कम पका हुआ चाहिए….. सब्जियाँ नहीं, महक भयानक है।”
“हाँ, हेंग, मुझे पता है, कम पका, लेकिन