ए कवसट ऑफ हरज - Морган Райс
Автор: | Морган Райс |
Издательство: | Lukeman Literary Management Ltd |
Серия: | द सॉर्सरर’ज रिंग |
Жанр произведения: | Современные детективы |
Год издания: | 0 |
isbn: | 9781632911834 |
द सरसरर’ज रग म ततकषण सफलत क लए आवशयक सभ समगर शमल ह: षडयतर, षडयतर क वरध, रहसय, बहदर शरवर, और टट दल स भर खलत रशत, धख और वशवसघत। कई घट तक यह आपक मनरजन करग, और हर उमर क लग क खश रखग। मथक क सभ पठक क सथय पसतकलय क लए इसक सफरश क जत ह।– पसतक और मव समकष, रबरट मटस५०० स भ अधक पच सतर समकष क सथ, अमजन पर #१ बसटसलर! #१ लकपरय लखक, मरगन रईस क ओर स एक नय मज़दर मथक शरखल क शरआत पश ह। ए कवसट ऑफ हरज (द सरसरर’ज रग म पसतक #१) क कहन रग रजय क बहर इलक म बस एक छट स गव क १४ वरष क एक बलक क इरद-गरद घमत ह। चर भईय म सबस छट, अपन पत क सबस नपसद और भईय क घण क पतर, थरगरन क अब लगन लगत ह क व और स अलग ह। वह रज क सन म शमल ह कर घट क उस पर मजद हज़र परणय स उस रग क बचन और एक महन यदध बनन क सपन दखत ह। बड़ हन पर और जब रज क सन म भरत हन स पत दवर मन कय जत ह त व न सनन क लए तयर नह हत; व अपन आप ह अपन बल पर रज क सन म शमल हन क लए दढ़ नशचय क सथ नकल पड़त ह।लकन रज क दरबर अपन ह परवरक नटक, सतत क लए सघरष, महतवककषओ, ईरषय, हस और वशवसघत स तरसत ह। रज मकगल क अपन ह बचच म स एक वरस क चयन करन हग, और परचन परमपरगत तलवर, ज क सभ शकतय क सरत ह, अभ भ एक सह हकदर क इतजर म अछत बठ ह। थरगरन एक बहर वयकत क रप म आत ह और रज क सन म शमल हन और सवकत परपत करन क लए सघरष करत ह।थरगरन क एहसस हत ह क उस रहसयमय शकतय हसल ह, एक वशष उपहर जस व समझ नह पत ह, और यह भ क यह एक ख़स तरह क भगय ह। सभ बधओ क बवजद उस रज क बट स पयर ह जत ह, और जब यह परतबधत रशत फल-फल रह हत ह त उस पत चलत ह क उसक परतदवद शकतशल ह। एक और जह वह अपन शकतय क समझन क लए सघरष कर रह हत ह, वह रज क जदगर उस अपन शरण म ल लत ह और घटय क उस पर, बहत दर, डरगन क दश स भ दर रहन वल उसक म जस व बलकल भ नह जनत, क बर म बतत ह।इस पहल क थरगरन अपन यदध हन क भख क पर कर, उस अपन परशकषण क पर करन हग। लकन यह बहत अधक नह चल सकग कयक वह अपन आप क शह षडयतर और वरध षडयतर म धस पत ह ज उसक पयर क नव क हल सकत ह और यह तक क उस और पर रजय क नषट कर सकत ह।अपन खबसरत शबद और वरणन क सथ, ए कवसट ऑफ हरज मतर और परमय, परतदवदय और यचक, शरवर और डरगन क षडयतर, रजनतक सजश, बढत उमर, टट दल, धख, महतवककष और वशवसघत स भरपर एक वरकथ ह। यह कहन ह सममन और सहस क, कसमत और नसब क, जद-टन क। यह ऐस कलपन ह ज हम एक ऐस दनय म लत ह जस हम कभ भल नह पयग और ज हर उमर और वरग क लग क अचछ लगग। इसम ९३००० शबद ह।अब शरखल म #३ – #१४ पसतक भ उपलबध ह! [एक] मनरजक मथक कथ। -करकस समकष कछ उललखनय क शरआत वह ह। -सन फरससक पसतक समकष एकशन स भरपर.. रईस क लखन ठस और आधर पचद ह। -पबलशरस वकल एक उतसहपरण मथक.. इसक शरआत ह यव वयसक शरखल महकवय क भरस दत ह। मडवसट पसतक समकष